#' त्याग '
नारी को गर ' त्याग कीमूरत' कहा जाये तो गलत ना होगा
नारी ही ' त्याग ' शब्द कोपरिभाषित करती है
माँ , नारी का सबसे सुंदररूप
जिसमें वह नये जीवन का धरती पर अवतरण करती है
नौ महिने उस जान को अपने पेट में रखकर
जब उसकीपहलीकिलकारी सुनती है
तो अपने शरीर का संपूर्ण दर्द भूल जाती है
जब पहली बार अपने बच्चेको स्तनपान कराती है
तब वह नारी से देवी बनजाती है
जो अपने दूध से नन्ही जान का पोषण करती है
फिर वह उसी बच्चे केलालन - पालन में
एसी रच बस जाती है जैसे दूध में पानी
खुद बुखार में भी होतबभी
बच्चे का पेट भरने केलिए
तैयार खड़ी रहती है
बच्चे के दर्द मेंखुदभीरोदेतीहै
बच्चे के लिए अपने समस्त जीवन का समर्पण कर देतीहै
नारी के इसी रूप को ' माँ 'कहते है
जो किसी देवी से कम नही
एसी देवी को शत - शतनमन
-Vaishnav