हम सीधे सादे लोग ये कहा आ गए
शहर में आकर बड़ी मुश्किल में आ गए
गॉव छोड़ा, तो लगा अपना पैर तोड़ा
खुशि की तलासमें आंसू आ गए
सोचते है कहा आराम कर इन रेत-पत्थरो में
गॉव के पेडों के साये याद आ गए
पूरा बदन मजदूरी से मिट्टी मिट्टी हो गया
बाल्टी पानी देखा तो नहरे- तलाव याद आ गए
हर रोज देखता है कुंडे के पौदे मुजे उदासी से
झड़े कैसे फैलाये, नीचें सीमेंट- रेत आ गए
जेब भर दी और खाली दिल कर दिया
नही आया मुजे रास शहर वापस गॉव आ गए ।।
-Rajnesh Rathod