मैं तो आया हूं कई बार तेरी बनायी हदों के पार, अपने प्रेम के पुल से, इक बार जो तू भी मिलने की इच्छा जताए, तो मुझे अच्छा लगेगा, मैंने तो निभाये है तेरे सब अनुबंध/ प्रतिबन्ध, तेरे प्रेम को पाने के लिए, तू भी कभी प्रेम की रीत निभाए तो मुझे अच्छा लगेगा । मैं जो जताऊँ और बताऊँ वो तो खूब समझता है तू, कभी जो तू मेरी खामोशी पढ़ पाए, तो मुझे अच्छा लगेगा, तेरी इक शिकन पर गुजरता है मेरा पूरा दिन फ्कि में, तेरी बातों में भी कभी जो मेरा जिक्र आये, मुझे अच्छा लगेगा, हर कोई कहता रहता है मुझे, तेरे प्रेम में कितना दीवाना हूं मैं, कभी तू भी मेरे प्रेम में दीवाना कहलाए, तो मुझे अच्छा लगेगा ।
-Mahir