लइकी-लइकन पगलाइल बा-जबसे फैशनवा आइल बा।।
फैशन में मस्त-मगन हो फिरें-घर का न कौनो काम करें।
बड़-बुढ़न के न ये सम्मान करें-संस्कृतियों का अपमान करें।।
कहते नवकल्चर आइल बा=>लइकी......
सथवे में एगो मोबाइल ले -दिन-रात लगे चिट-चाट करें।
बतिया बिल्कुल स्पाट करें-वो चार्म कहे वो हाट लिखें।।
तन में गर्मी बढ़ आइल बा=>लइकी.....
महंगे सौंदर्य प्रसाधन ले-यूँ आड़े-तिरछे बाल करें।
सेल्फी ले-लेकर फोनवा में -सोशल मीडिया प्रचार करें।।
मनवा एनके बिगड़ाइल बा=>लइकी....
चाहे खुद के शक्ल न सूरत हो-पर संग एक भोरी मूरत हो।
कहते तुम मेरी जरूरत हो-ऐसे मनवा बहकाइल बा।।
चुपके संगे भग जाइल बा=>लइकी......
बस कुछ दिन रहते हैं संगे-बोला हर-हर-हर-हर गंगे।
का करें समझ न आइल हो-मन धुनि-धुनि कर पछताइल हो।।लइकी....
इहां तके होई ता ठिकै बा-एनसी न बुढ़उ फिकै बा।
अइसन खूमार चढ़ाइल बा-बुढ़ौती भी खुद इतराइल बा।।
एसे न कौनो बच पाइल बा =>लइकी.......
कुछ और न इनके सुझाइल हो-इ मनवा जिंदगी भरमाइल बा।
फइसन खाएं फइसन पहिरें - इहमें जिंदगी जर-जाइल हो।।
मेरो(मन) मनवा घबराइल बा =>लइकी.....
लइकी-लइकन पगलाइल बा - जबसे फैशनवा आइल बा।। 😢
सनातनी_जितेंद्र मन