"आंगन में खिला फूल"
आंगन में खिला फूल, मुरझा जाने से पहले चुन लिया,
प्यार के नाम पर भक्ति के नाम पर मुक्ति के नाम पर।
मालिक कुछ कहे, उससे पहले ही, उसे चुप करा दिया,
धर्म के नाम पर रस्मो रिवाज के नाम पर उसे भरमाया।
जिन फूलों ने अर्पित होने से इनकार किया द्रोही करार दिया,
ममता के नाम पर चरित्र के नाम पर उसे बाहर फेंक दिया।
बाकी बचे हुए फूल, दिल ए अरमा दफन कर जी रहे,
जीवन के नाम पर खुशियों के नाम पर इच्छाओं के नाम पर।
अपनी खुशबू और पहचान "मित्र" वो फुल भूल गए,
आंगन में खिला फूल मुरझाने से पहले चुन लिया।
-मनिष कुमार मित्र"