खामोशी में अक्सर
क्यों तन्हा रह लेते हो तुम...
मेरे कुछ न कहने पर भी
कितना कुछ कह देते हो तुम...
कतरा कतरा बिखर कर भी
खुल कर हँस लेते हो तुम....
चाहे झूठे इल्ज़ाम लगे भी
ख़ामोशी से सह लेते हो तुम...
मैं हतप्रत हूँ ये देख कर
ये कैसे कर लेते हो तुम....
-Arjun Allahabadi