होठों पर उनकी अवाज़ भी है
मेरे होठों पर उनकी अवाज़ भी है
साँसों में सौँपा विश्वास भी है
जाने किस मोड़ पे कब मिल जायेंगे वो
पूछेंगे बचपन का एहसास भी है
इक था बचपन, इक था बचपन
दोनो का सुंदर था बंधन, एक था बचपन
टहनी पर चढ़के जब फूल बुलाते थे
हाथ उँचके तो टहनी तक ना जाते थे
बचपन के नन्हे दो हाथ उठाकर
वो फूलों से हाथ मिलाते थे
एक था बचपन, एक था बचपन