गीत :-"सोला साल हुई"
लहर लहर लहराई जुल्फें, हिरनी जैसी चाल हुईं,
बंधी पांव में प्रीत की पायल,उमर जो सोला साल हुई।
तूने भी फिकर कि नहीं मेरी,उलझा रहा जमाने में,
सारी उमर गवा दी अपनी, पैसे चार कमाने में।
क्या खोया तुझको पाने में, ये तू समझ ही नहीं पाया,
दुनिया रही दीवानी मेरी, पर दिल को तुं ही भाया।
तुझको क्यां तेरी खातिर तो, घर की मुर्गी दाल हुई,
बंधी पांव में प्रीत की पायल, उमर जो सोला साल हुई।
ध्यान दें:- ये रचना मेरी नहीं है, मगर मुझे बहुत अच्छी लगी इसलिए यहां लिखी है।
-मनिष कुमार मित्र"