ली.विराज गोहेल
है मेरा दिल तो आवारा....
है मेरा दिल तो आवारा,
न जाने कैसे मानेगा।..2
उन्होने बुलवाया, खत भी लीखवाया
बहुत समझाया, यही ना समझा..2
बहुत भोला है दिल मेरा, न जाने कैसे मानेगा।
अजब है झमाना, ना दर ना ठिकाना
ज़मीं से बेगाना, फलक से जुदा
ये एक टूटा हुआ दिल मेरा, न जाने कैसे मानेगा।
बहाना सोचा सारा, पर सबको नाकारा
ये दिल ही हमारा न हुआ किसी का
गर्दिश मे है ये आवारा, न जाने कैसे मानेगा।
हुआ ना ये कभी राजी, मिला भी नहीं माजी
जहाँ पे लगी बाज़ी, वहीं पे हारा
ज़माने भर का नाकारा, न जाने कैसे मानेगा।
है मेरा दिल तो आवारा
न जाने कैसे मानेगा।
-Viraj GOHEL