चलते रहने का नाम ही तो है ज़िन्दगी
जो रुक जाए , वो ज़िन्दगी नहीं है।
खट्टे - मीठे कितने अनुभव कराती है ये
कभी गिराती तो कभी उठाती है ये
रात कितनी भी स्याह क्यूं ना हो
एक नई रौशनी की किरण दिखाती है हमें
हौसलों से भरा हुआ एक पैग़ाम है ज़िन्दगी
जहां उम्मीद नहीं है , वो ज़िन्दगी नहीं है।
-अनुभूति अनिता पाठक