Hindi Quote in Poem by Pratham Shah

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हाथों में तलवार भवानी,
जैसे महाराणा का भाला था।
उस भगवे को कौन झुका सका,
जिसे छत्रपति ने संभाला था॥

शेर शिवा का वंशज था जो,
सह्याद्री में जन्मा था।
देखा जिसने आँखों में,
स्वराज्य का एक ही सपना था॥

खदेड़ जिसने मातृभूमि से,
मलेच्छो को निकाला था।
उस भगवे को कौन मिटा सका,
जिसका ‘छत्रपति’ रखवाला था॥

मस्तक पर था तिलक चंद्र जो,
तेज़ सा मुख पर फैला था।
मुघलो को टक्कर देने वाला,
वो शेर एक अकेला था॥

क्षत्रियों का बल था जिसमें,
और भानु सा उजाला था।
उस ‘भगवे’ को कौन झुका सका,
जिसका ‘शिवराज’ रक्षण करने वाला था॥

शाही-सल्तनत को जिसने झुकने पर मजबूर किया,
मर्द-मराठा ऐसा जिसने देश-धर्म मजबूत किया।
‘हर हर महादेव’ घोष से गूंज उठा हर कोना था,
शस्त्र जिसके हाथों में एक मात्र खिलौना था॥

गौरक्षक प्रतिपालक था जो,
नारी सम्मान में तलवार उठाता था।
शत्रुओं से भरे दरबार में जो,
कतई ना शीश झुकाता था॥

मावले जिसके रणचंडी को शत्रु का रूधिर पिलाते थे,
लडे बिना जिसके आगे, लाखों सर झुक जाते थे।

मल्हार सा तेज़ था जिसमें,
वज्रबाहू कहलाता था।
तलवार के प्रताप से जिसके,
यवनों का दिल घबराता था॥

परम पराक्रम से जिसके,
हर किल्ले पर ‘भगवा’ लहराता है।
वो भक्त, भवानी का बेटा ‘छत्रपति’ कहलाता है॥

Hindi Poem by Pratham Shah : 111640735
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