__ अभिलाषा __
देखो देखो पग पग कि राह पर
स्मृति पटल के अतृप्त नेत्रों पर
मन मस्तिष्क के असीम दृश्य पर
तन दैहिक के अतुल्य श्रृंगार पर
शांत हृदय के उग्र अभिलाषा पर
अतीत के भव्य नाट्य गर्भ गृह पर
अकल्पनीय महाकथा निर्माण पर
अविश्वसनीय पात्रों के अभिनय पर
नित्य उत्साह दूरदर्शन के दर्शन पर
रामायण-महाभारत के ऐपिसोड पर
ब्लैकेनवाईट टेलीविजन के मैजिक पर
भरपूर मनोरंजन की अनदेखी छवि पर
अस्तव्यस्त रिश्तों के प्रखर मजबूती पर
सभ्य समाज के पथ निर्देश पर
उचित-अनुचित के सृदृढ़ ज्ञान पर
परिवर्तन के टेढ़े मेढ़े पथ पर
सिनेमा के बदलते चलचित्रों पर
कलाकारों के अप्रतिम अभिनय पर
वास्तविक-काल्पनिक मर्म भेद पर
अंदर-बाहर दृश्य-अदृश्य के द्वंद्व युद्ध पर ,
मानव जीवन पर गहरा प्रभाव ड़ाला
सत्य-असत्य की परिभाषा उजागर कि
हृदय परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया ।।
-© शेखर खराड़ी ( ७-१-२०२१)