My Wonderful Poem..!!!
हमारे उस के दरमियान
यह फ़ासला अपनी जगह है
आहटों और दस्तकों का
सिलसिला अपनी जगह है
कोई तो हैं जो भीतर बेठ
हमें ज्ञान भले बूरे का देवत हैं
उसे मानना न मानना छोड़ा
हम पर,कठपुतली-सा खेल हैं
ऑंखें ही दरवाज़ा हैं ज़हन
का,जो बूरे ख़्याल जन्म देवत हैं
अकड़ जकड़ पकड़ जलन
सारे बूरे फ़ेल यही पैदा होवत हैं
अच्छे 👍🏾 लोग अच्छे ओर
बूरे लोग बूरे यहीं नक्की होवत हैं
प्रभुजी भी अजीब-ओ-ग़ज़ब
सृष्टि रचयिता सब देखत सुनत हैं
पर अपने बंदे को ही सारे
कमँ-कथनी नक्की करने दिए हैं
✍️🥀🌹🌹👍🏾🙏👍🏾🌹🌹🥀✍️