1 घनश्याम
श्याम देह घनश्याम की, राधा गोरी संग ।
दोनों में बस प्रेम का, छाया चोखा रंग ।।
2 उपालम्भ (उलाहना)
उपालम्भ सुनते सदा, मातु यशोदा नंद।
दधि माखन चोरी करे, करता रहता द्वंद।।
3 संदेश
देश-प्रेम संदेश का, राष्ट्र करे सम्मान ।
इसमें ही हित है निहित, जग में होता मान।।
4 गोपी
ग्वाल-बाल, गोपी रहे, द्वापर में ब्रज धाम।
बाल-सखा उनके रहे, जगत्-पिता घनश्याम ।।
5 बाँसुरी
मुरलीधर की बाँसुरी, छेड़े मधुरिम तान ।
मोहित तन-मन को करे, करती कष्ट निदान।।
6 अंतःकरण
मानव का अंतःकरण, करता सदा सचेत।
ज्ञानी जन सुनते सभी, रक्षित करें निकेत ।।
7 शेर
सीमा पर चौकस रहें, दिन हो चाहे रात ।
भारत मांँ के शेर हैं, दुश्मन को दें मात।
8 सौजन्य
सब मिलते सौजन्य से, मतभेदों को त्याग।
हाथ मिलाते हैं सदा, बढ़ जाता अनुराग।।
9 चित्र
चित्र उकेरा ह्रदय में, प्रभु का कर गुणगान।
सदा वही रक्षा करें, वही करें कल्यान।।
10 संगम
संगम में डुबकी लगा, लूट रहे कुछ पुण्य।
कर सेवा मांँ-बाप की, कुछ हो जाते धन्य।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "