ना मैं ख्वाबों के साए में रहना चाहती हूं,
ना ही मैं मंजिलों के रास्ते पर चलना चाहती हूं,
ना मोहब्बत की तलाश में हूं, ना ही नफरत का एहसास रखती हैं,
गर मिले मुझे इस दुनिया से "सुकून-ए-पल",
बस ऐसी ही जिंदगी की चाहत रखती हू।
ना ही किसी से हारना चाहती हूं, ना ही खुद से जीतना चाहती हूं।
मैं तो बस बिना पंख के ही जमी पर उड़ना चाहती हूं।
ना ही रूठने मनाने का सिलसिला चाहती हूं,
ना ही वफा और बेवफाई को मानती हैं,
मैं सही हूं या गलत हूं इस बात का सिर्फ खुद को ही एहसास दिलाना चाहती हू ।
जिंदगी के हर पल मे बस सुकून से अपने ही ख्यालों के साथ में जीना चाहती हैं। "SA"
-Shikha