रचयिता कौन है पता नहीं, पर रचना है बड़ी सुंदर..
"मन्दिर लगता आडंबर ,
और मदिरालय में खोए हैं ,"
"भूल गए कश्मीरी
पंडित ,
और अफजल पे रोए हैं........"
"इन्हें गोधरा नहीं दिखा ,
गुजरात दिखाई देता है ,"
"एक पक्ष के लोगों का ,
जज्बात दिखाई देता है........"
"हिन्दू को गाली देने का ,
मौसम बना रहे हैं ये ,"
"धर्म सनातन पर हँसने को ,
फैशन बना रहे हैं ये......."
"टीपू को सुल्तान मानकर ,
खुद को बेच कर फूल गए ,"
"और प्रताप की खुद्दारी की ,
घास की रोटी भूल गए......."
"आतंकी की फाँसी इनको ,
अक्सर बहुत रुलाती है ,"
"गाय माँस के बिन भोजन की ,
थाली नहीं सुहाती है......."
"होली आई तो पानी की ,
बर्बादी पर ये रोते हैं ,"
"रेन डाँस के नाम पर ,
बहते पानी से मुँह धोते हैं........"
"दीवाली की जगमग से ही ,
इनकी आँखें डरती हैं ,"
"थर्टी फर्स्ट की आतिशबाजी ,
इनको क्यों नहीं अखरती है......."
"देश विरोधी नारों को ,
ये आजादी बतलाते हैं ,"
"राष्ट्रप्रेम के नायक संघी ,
इनको नहीं सुहाते हैं........"
"सात जन्म के पावन बंधन ,
इनको बहुत अखरते हैं ,"
"लिव इन वाले बदन के ,
आकर्षण में आहें भरते हैं....."
"आज समय की धारा कहती ,
मर्यादा का भान रखो ,"
"मूल्यों वाला जीवन जी कर ,
दिल में हिन्दुस्तान रखो........"
I
"भूल गया जो संस्कार ,
वो जीवन खरा नहीं रहता ,"
"जड़ से अगर जुदा हो जाए ,
तो पत्ता हरा नहीं रहता........"
🙏🏼 "वन्दे मातरम.... 🚩
-Sanjay Singh