अर्थहीन दुनिया लगती है;
जब तुं मुझे नहीं दिखती है;
तेरी यादों में ही खो कर,
ये आंखें पुरी रात जगती है;
शायद आ जाओ ख्वाब में,
ये सोच कर ही निंद लगती है;
तुझसे ही अर्थ जिवन का,
बाकी,अर्थहीन दुनिया लगती है;
संग तेरे ही है जीना मरना,
बिन तेरे बेकार ये ज़िन्दगानी है;