जिधर जाते सब जाना उधर अच्छा नही लगता,
मुझे पामाल रस्तो का सफर अच्छा नही लगता,
गलत बातो को खामोशी से सुनना, हामी भर लेना,
बहुत है फायदे उस में, मगर अच्छा नही लगता,
मुझे दुश्मन से भी खुदारी की उम्मीद रहती है,
किसी का भी हो सर, कदमो में सर अच्छा नही लगता,
और बुलन्दी पर उन्हे मिट्टी की खुश्बू तक नही आती,
ये वो शाखे है जिनको अब पेड अच्छा नही लगता,
और ये ही क्यू बाकी रहे आतिशजनो,
ये भी जला डालो,कि सब बेघर हो,
और मेरा हो घर, अच्छा नही लगता ।
-aashu