डर की खिड़कियां
जब बंद होती हैं तो
ख्वाहिशों का आसमान नहीं दिखता
उसे देखने के लिये
एक जिद का होना बहुत जरूरी है
हो सकता है कि नाग़वार गुज़रे
डर को हौसला
हो सकता है जीतने से पहले
मन हार जाये
पर जाना तो होगा
... उस पार जहां
ख्वााहिशों के आसमान पर
दूर तक उड़ते हैं पंछी
बिना किसी भय के
हर वक़्त मन मांगता हो जब
बस यही एक उड़ान
तो जरूरी है बस इतना ही
खोल दो एक बार
डर की खिड़कियाँ
निर्भय होकर
और बन जाओ तुम विजेता !!!
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