कभी कभी पानी को देख ते ही प्यास लगता हैं,
कभी खाने को देख के भूक लगता हैं,
कभी कभी गरेनॉ को देख के अपनों का ख्याल आता हैं,
और दुनिया मे इतना लोग होते हुए भी सिर्फ एक को आँख देख ने के तरस ता हे।
वो एक ऐसा ही होता हे जैसे :
मा को अपने संतान का
पत्नी को अपना पति का
प्रेमी को अपना प्रेमीका का
भाई को अपना बेहेन का
गरीबों को दानी का
और
सच्चा रिस्तेदार को अच्छा रिश्तों का।
जय जगन्नाथ
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