●इश्क़
रदीफ़ और काफ़िया सिखाओ मुझे भी..,
आईने में साथ खड़ी दिखाओ मुझे भी..,
की अब मुझे मेरा इश्क़ लिखना हैं..!
हिज्र की रात है तो जगाओ मुझे भी..,
दीदार को उसके तड़पाओ मुझे भी..,
की अब मुझे मेरा इश्क़ लिखना हैं..!
यादों में उसकी रुलाओ मुझे भी..,
यारों जाम उसके नाम पिलाओ मुझे भी..,
की अब मुझे मेरा इश्क़ लिखना हैं..,
मौत आये.., बाहों में उसकी सुलाओ मुझे भी..,
सिर्फ एक बार "काफ़िया" से मिलाओ मुझे भी..,
की अब मुझे मेरा इश्क़ लिखना हैं..!
#TheUntoldकाफ़िया
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