•ख़्वाबिदा
में बैठा हूं इंतज़ार में आपके और आंखों में बारिश आई हैं..,
धुँध साफ़ नज़र आ रही हैं की नज़्म-ए-सिफ़ारिश आई हैं..!
ये बे-वक़्त तुम्हारा याद आना जैसे कोई गुजारीश आई हैं..,
लफ़्ज़ों में साफ जाहिर कर रहा हूं में की मेरी ख़्वाईश आई हैं..!
वैसे तो इस शाम नीला आसमाँ हैं शायद गुंजाइश आई हैं..,
हर्फ़-ए-मोहब्बत सुनाओ कोई इश्क़ की गली से साजिश आई हैं..!
"ख़्वाबिदा" साथ हों हसीन हर बात हों आफ़रीन ये नुमाइश आई हैं..,
ख़्वाबोमे तेरा यूँ जुल्फ़े सहलाना दरमियाँ इश्क़-ए-वारिश आई हैं..!
आप मुस्कुराती रहों सदा खुदा दर बंदगी में फ़रमाइश आई हैं..,
दीद-ए-उम्मीद-ब-सहर "काफ़िया" ख़्वाबो दरमियाँ बारिश आई हैं..!
#TheUntold काफ़िया
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