एक दिया प्रेम का
इस धधकते धरा पर मैं,
एक प्रेम का दिया जलाऊं,
हताशा के क्रंदनों में,
प्रेरणा के गीत गाऊं।
दूरियां हैं बढ़ रही अब,
आदमी का आदमी से,
हृदय को जोड़े हृदय से,
मैत्री का मैं गीत गाऊं।
व्याप्त भय चहुं ओर है
अज्ञात सा सबके हृदय में
मुक्त पंछी के सदृश मैं
एक अभय का गीत गाऊं।