•रुतबा
बहोत दिनों के बाद ही सही मेरे घर खुशियां लौट आई हैं..,
एक अरसे से था इंतज़ार में कि इश्क़-ए-चौखट आई हैं..!
मय-ब-जाम मेहफ़िलको मेरी तरफ़ से पिलाना साक़ी
गज़ले-शे'र-नज़्म जो भी कहलो ग़म में खोट आई हैं..!
ऐतबार-ईबादत-मुख्तलिफ-मय्यसर ये तो कुछ भी नहीं
मोहब्बत क्या हुई ज़िन्दगी से की बे-वक़्त मौत आई हैं..!
रात में सिर्फ अंधेरा मेरा अपना था और परछाई दिन में
रुतबा देखो जिससे इश्क़ था आख़िर वो लौट आई हैं..!
रूह-ए-फ़िराक़ में जिस्म से प्यार करने वाला ज़माना हैं ये
बयां भी कैसे करूँ "काफ़िया" की दिल को चौट आई हैं..!
#Theauntoldकाफ़िया
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