सभ्यता का विकास
सभ्यता के शुरुआत में
आखेट हमारी जीविका थी,
फिर मनो विनोद हो गया,
विकास क्रम के साथ
सीखा हमने -
मुर्गों को लड़ाना,
बैलों को भिड़ाना,
पशुओं की आक्रामकता के साथ,
बढ़ता हमारी उत्तेजना का स्तर भी,
फिर और विकसित हुए हम
और भिड़ाने लगे
आदमी को आदमी से,
जितना क्रूरतम खेल होता,
उतना होता हमारे संतुष्टि का स्तर,
आज हम सभ्यता के शिखर पर हैं
आदमी आखेट कर रहा
आदमी का हर पल,
आखिर समय के साथ
मनोरंजन का भी तो
विकास होना था।