कैसा है ये रिश्ता मेरा तुम्हारा
न मुझको मालूम न तुमको ख़बर।
क्यों है रिश्ता ये इतना प्यारा
न मुझको मालूम न तुमको ख़बर।
क्यों अजनबी होकर भी गहरा रिश्ता हमारा
न मुझको मालूम न तुमको ख़बर।
न दिन का पता न रातों का सहारा
न मुझको मालूम न तुमको ख़बर।।
Arjuna Bunty
-Arjuna Bunty