जिन पर भरोसा किया करते थे;
उन लोगो ने ही हमें डूबा दिए
वाह! ज़िंदगी तूने भी क्या खेल दिखाए...
दो पल हसाया हमें; तूने ही,
फिर काले आंसु तूने रुलाए
वाह! ज़िंदगी तूने भी क्या खेल दिखाए...
मरता था कभी जमाना हम पर;
आज हमारे अपने भी हुए पराये
वाह! ज़िंदगी तूने भी क्या खेल दिखाए...
ज़ोली भर के खुशियां दी हमें;
आज हम थकते नहीं आंसू बहाए
वाह! ज़िंदगी तूने भी क्या खेल दिखाए...
-Parmar Jagruti