उल्फ़त का हसीं नजारा कैसे हो
शब भर जागकर गुजारा कैसे हो,
एक रोज़ रूबरू तुम चली आओ
ख़्वाबो में तुमकों इशारा कैसे हो,
महज़ तुम्हारा हो जाने की खातिर
हम आसमां से टूटता सितारा कैसे हो,
लाज़मी है इश्क़ करना हर किसी का
बाद हिज्र के यादों से किनारा कैसे हो,
दरमियां एक दूजे के कुछ है ही नही
किस्सा कैफ़ियत का दोबारा कैसे हो..!!