सुन ओ नासमज, तू गाने को गाना न समज, दिल का ताना-वाना समज
हर एक अल्फ़ाज़ दिल का हाल बता रहे है, मेरे धाप-धुप धाप-धुप की कथा कह रहे है
सीधा तो तुजे बोल नहीं सकते ना, इसीलिए प्रेम की प्रोसेस निभा रहे है
तू भी बिन बोले हर बात समज रहा है, मेरे सिंगल होने पे सवाल जो उठा रहा है
पर तेरी लगाई लत को क्यों गलत केह रहा है, हाँ?
सिर्फ रात नहीं राज़ भी समज आ रहे है जो बात 'उसे' बतानी थी तू जे बताई जा रहीं है
तो बस अब तू ही बोल क्या हुई में तेरी ?
पर क्या मैं हुई तेरी?
थोड़ी हिम्मत कर अब बस केह दे
आगे का बाद में सोचेंगे, पहले अब ये गुदगुदीया रोक दे