जिन्दा हूं, बताती रही
चीखती रही, चिल्लाती रही,
मायके की आन लिए,
भयानक लपटों से जूझ गई,
आंखो में बेवसी की तस्वीर बन गई।
जिस अग्नि को साक्षी मानकर नये
जीवन की शुरुआत की थी,
वो अग्नि ही मौत बन गयी।
सफेद कफन ओढ़े दहेज,
अगले के तलाश में जुट गयी।
-Suneeta Gond