# बाबा
ओसारे पर बैठे बाबा,
महाभारत में डूबे बाबा,
लेते हैं विराम क्षण भर,
कोमल झुर्रियों भरे चेहरे से
चश्मा उतार कर,
आंखों को पोंछ कर,
ताकते हैं शून्य में,
फिर आती है आवाज उनकी,
गाओ ना वो गीत
जो गाती थी तुम्हारी दादी;
आंखें मूंदे बैठे बाबा,
गीत में खोए बाबा,
जी रहें हैं स्मृतियों को
अपने बीते दिनों को,
क्या प्रेम इससे बेहतर
हो सकता है?