#पोस्टमैन
दूर से आया, पासे देखा
साइकल चलातें हुए ,
हरफ़नमौला डाकिया
टिन..टिन..घंटी बजातें
चिठ्ठियों का झोला लेकर ,
कच्ची-पक्की सडकों पर
गली, मुहल्ले, नुक्कड़ से गुजरा
स्नेह, उल्लास, दुःख से भरी
असंख्य डाक की गंठरी लेकर ,
दूर दराज रिश्तों में घुलता रहा
हृदय की भावना खोलता रहा ,
खट्टी-मीठी बातें बोलता रहा
सुंदर सपनें नैनों में टटोलता रहा ,
इंतज़ार की राहें खत्म करता रहा
डाकिया डाक लाया, मन की बात लाया
खुशियों का पैगाम लाया, जिंदगी का रंग लाया
-© शेखर खराड़ी ( ९/९०/२०२०)