# पुत्री अग्नि की
तुम अग्नि बनो
कि भस्म कर सको
तमाम असुरों को,
तुम ज्वाला बनों
कि जला सको
घृणित दृष्टियों को;
तुम जलो अनवरत,
अग्नि शिखा की तरह,
कि खाक हो जाएं
खर पतवार
दुनिया औे' समाज के,
तुम रणचन्डी बनो
और संहार करो,
दानवों का,
और अट्टहास करो
वरण करके मुंडमाल तुम;
तब ही मेरी सखि
यह दुनिया,
तैयार हो पाएगी
तुम्हारे लिए।