कही अनकही सी बात ला कर बैठी हैं,
उदासी कहीं से पास आ कर बैठी हैं।
कहीं जिंदगी हालात से परेशान हैं,
कहीं प्यार की सौगात पा कर बैठी हैं।
वहां पर मिला सब सुख हैं संसार का,
जहां पर हमारी जान जा कर बैठी हैं।
पता ही नहीं होगा क्या तेरे बाद में?
लेने को हमारी सांस, ना कर बैठी हैं!
तूने अक्ष, सपनें ही दफन कर दिए हैं,
तो वो भी ज़हर ए ख्वाब खा कर बैठी हैं!