यही वफ़ा का सिला है तो कोई बात नहीं,
ये दर्द तूने दिया है तो कोई बात नहीं,
किसे मजाल कहे कोई मुझको दीवाना,
अगर ये तुमने कहा है तो कोई बात नहीं,
यही बहुत है कि तुम देखते हो साहिल से,
सफ़ीना डूब रहा है तो कोई बात नहीं,
जो आने वाला है कल उसको किसने देखा है,
वो हमसे आज जुदा है तो कोई बात नहीं..
अमृत....