जिन चाहेरो पर मुखौटे हुआ करते थे
उन चहेरो पर आज मास्क लग गया
कोरोना से हमारा जीना बदल गया...
जिन हाथो में गहरी महंदी रचनेवाली थी
उन हाथो पर सेनिटाइजर छिरक गया
कोरोना से हमारा जीना बदल गया...
जहां सुबह की शरुआत GM से होती थी
वो स्कूल- कॉलेज अचानक से गया
कोरोना से हमारा जीना बदल गया...
जहां कभी सीटीया और तालियां गूंजती थी
वो सिनेमाघरों में आज अंधेरा छा गया
कोरोना से हमारा जीना बदल गया...
जिसे "ख़ुशी" का आशियाना घर कहते है
वो मानो कि जैसे आज लॉकअप बन गया
कोरोना से हमारा जीना बदल गया...
जहां रिश्ते और नातो में दूरियां तो थी ही
वहां सोशियल डिस्टेन्स ने भी हाथ मिला दिया
कोरोना से हमारा जीना बदल गया...
-Parmar Jagruti