#मंदिर
मंदिर- मंदिर भटका में,
तुझको ना खोज पाया।
हार गया मैं हुआ निराश,
थका मन ,थक गई काया।
दीन -दुखियों के बीच एक दिन,
मैं सेवा भाव से आया।
उस दिन शांत हुआ मन
मन के अंदर ही मैंने
देखी उस दिन तेरी छाया।
मैं और अंदर की संधि से होता मंदिर
शब्दों का गहन अर्थ में समझ पाया।
by रेखा पंचोली