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फॉलोअर्स की तालियाँ सुनते-सुनते
आप अपने दिल की आवाज़ दबा रहें हैं...
जी हां आज के समय इंसान समाज में रहते हुए भी अकेला हो चुका हैं लेकिन वो इसे इसलिए नहीं स्वीकारता हैं क्योंकि उसके पास सोशल मिडिया पर अपने निजी रिश्तों से ज्यादा लोगों की फौज जो हैं लेकिन क्या ये फौज उसके वास्तविक जीवन के करीब हैं...? नहीं यहां वास्तविक जीवन का कोई मोल नहीं हैं क्योंकि ये सोशल की दुनियां सिर्फ और सिर्फ झूठे दिखावे की सत्यता पर आपस में एक दूसरे से जुडी हैं... लेकिन जहां सत्यता हैं वहां कम लोग हैं लेकिन सुखी हैं. जो इस झूठ के मायाजाल में पहले तो औरो को फसाते हैं और एक समय ऐसा आता हैं जब वे स्वयं ही बर्वाद हो जाते हैं.... कुछ समहल जाते हैं तो कुछ दुनियां में रहते हुए भी गुमनाम हो जाते हैं...
एक सामाजिक जागरूकता की आस में एक कहानी जल्दी ही आपके समक्ष होंगी..
"फॉलोअर्स का साया"
दीपक बुंदेला "आर्यमौलिक"