ना जाने क्यू वो अपना सा लगता है
भीड़ में भी तन्हा सा लगता है
जब भी देखती हु चुपचाप सा रहता है
कुछ तो है उसकी आँखो में जो वो
दुनिया से छुपाके रखता है
केहना है उसे की पढ़ लिया है हमने सब
बस अब बाँटलो हमसे जो दिल में दबाके रखा है
केहना उसे तज़ुर्बा है हमें भी ऐसे लम्हो का
सायद इसी लिये वो अपना सा लगता है।
-Chandrika Gamit