पांव को आराम दिए बिना आराम चाहता हूं।
सोच को आराम दिए बिना आराम चाहता हूं।
सपनो को क्यों छोड़ दू जो मेरे अपने जो है,
फिरभी में अक्सर आराम से सोना चाहता हूं।
आगे आराम मिलेगा ये सोचकर चल रहा हूं,
कब तक मिलेगा मगर अब आराम चाहता हूं।
हर इंसान आराम चाहे तेजतर्रार जिंदगी में,
पांव के नीचे छिपाकर कहे आराम चाहता हूं।

#आराम

Hindi Poem by Anil Bhatt : 111561747

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