#आज की प्रतियोगिता "
" विषय .झंगड़ा "
" कविता **
झंगड़ा दोस्ती में ,दरार करता ।
झंगड़ा आत्म शांति ,को छिन लेता ।।
झंगड़ा दिलों में ,नफरत भरता ।
झंगड़ा आपसी ,वैर कराता ।।
झंगड़ा बदले की ,भावना जगाता ।
झंगड़ा भाई को भाई ,का दुश्मन बनाता ।।
झंगड़ा मानव को ,दानव बना देता ।
झंगड़ा सर्वनाश ,की जड़ कहलाता ।।
झंगडा मानवता का ,अभिशाप होता ।
विवैकी आदमी ,कभी झगड़ा नहीं करता ।।
-Brijmohan Rana