" तुम "
ना पास आते हो तुम ना दूर जाते हो तुम
तमन्ना क्या है तुम्हारी ना ही बताते हो तुम
मैंने सुना है मोहब्बत है मुझसे
फिर क्यूं निगाहें बचाते हो तुम
राज - ए - मोहब्बत क्या है दिल में
जो देख कर इतना मुस्कुराते हो तुम
गुस्ताख़ी माफ़ ऐ हुस्न - ए - हुज़ूर
बड़ी शिद्दत से आजमाते हो तुम
मै सरोवर सा रहता तुम्हारे जिगर में
क्यूं लहरों की जिद से जगाते हो तुम
मै नहीं कोई दुश्मन ना कोई परिंदा
जो छुपकर छुपाकर जलाते हो तुम
।। ज्योति प्रकाश राय ।।