मेरे शब्द जो मुझे सोने नहीं देते
कुछ भाव जो उमड़ते हैं
घुमड़ते हैं बाहर आने को
कलम से लिख जाने को
रात का संनाटा कहता है
कि सुनो मुझे
मैं वो भाव हूँ जो सुन ना सके तुम
दिन के उजालों में
अब सुनों मुझे
कहो एक कहानी
जिसमें तुम हो राजा
तुमी हो रानी
जो सताया दिन के उजाले में
उसेछोड़ दो सिरहाने में
उन शब्दों के तुम हार बुनो
गले में डाल खुद का सम्मान करो…