#आज की प्रतियोगिता "
# विषय .श्रेष्ठ "
# विधा .कविता *
प्रेम ही जीवन ,का श्रेष्ठ श्रृंगार होता ।
प्रेम ही जीवन में ,उमंगे लाता ।।
प्रेम ही जीवन में ,मिलन बिछोह कराता ।
प्रेम पर ही दिल ,न्यौछावर होता ।।
प्रेम ही जीवन में ,अपार दुःख सुख देता ।
प्रेम के आगे ,मानव दिल लाचार होता ।।
प्रेम बिना ,जीवन नहीं निखरता ।
प्रेम ही श्रेष्ठ ,पुजा अर्चना कहलाता ।।
प्रेम पाने ही मानव ,जीता मरता ।
प्रेम बिना जीवन ,सूना रेगिस्तान होता ।।
प्रेम ही जीवन के ,उद्देश्य समझाता ।
कहता बृजेश प्रेम ,बिना मानव दानव बनता ।।
-Brijmohan Rana