जौहर की गाथा सुनाती एक जवानी।
चितौड़ के क़िले में उठी वो ज्वाला भवानी।। राजपूती मर्यादा का मान ओढ़ें सतीत्व को उसने बचाया था।
छल्ली दुष्ट खिलजी को उसने उसके घर में घुसकर हराया था।
नारीत्व को बचाने चड गई शेरनी धधकती अग्नि कुंड की बेदी पर।
पापी नीच पहुंच भी न पाया मर्यादा की पेड़ी पर।।
पावन धरती आज भी हैं कहती वही रवानी ,
जौहर की गाथा सुनाती एक जवानी।
चितौड़ के क़िले में उठी वो ज्वाला भवानी।।
स्वाति सिंह साहिबा