तुम्हे पसन्द है ना गुलमोहर का पेड़..
हरियाली और चुप रास्ते...
जहां केवल एक बोलता हुआ सा मौन हो..
सुनाई पड़े तो सिर्फ़ चिड़ियों की चहचहाहट
पानी का कलरव,पत्तियों की सरसराहट
जहां बिखरी पड़ी हों सुर्ख़ पत्तों की मानिंद कुछ ख़ूबसूरत कविताएं
तो सुनो प्रिय
ढूंढेंगे कोई ऐसा अकेला सा दिन
और चुप सा रास्ता
पर....
तुम मेरे सुर्ख़ चटक रंग पहन कर आना
और वादा कि मैं तुम्हारे हल्के रंग ओढ़ लुंगी..
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शालिनी