My Eventful Poem...!!!
*मौत* का मौसम है,
नई *वफा* आईं है ,
*साँस* लेने पर भी,
इक *सज़ा*आईं है,
जान तक यह नहीं
छोड़ती,*जान*जाने तक,
*इश्क़*के टक्कर की,
अजीब *बला*आईं है|
बढ़ते जुर्मों को रोकने
प्रभु की *सदा* आई हैं
बंदा भूला कमँ याद
दिलाने *वजह* आई हैं
बहती खुनकी नदी को
रोकने *आफ़त* आई हैं
बचो सँभालो ख़ुद को
जान लेने *कज़ा*आई हैं
मोबाइल वहोटस-एप
TV की *सामंत* आई हैं
यारों मिनी वेकेशन की
तो मानो *भेंट-सी*आई हैं
घर ही मर्ज़ का इलाज
घर रहने की *बारी* आई ....!!!
*STAY HOME ~ STAY SAFE*