# छंदमुक्त कविता "
# विषय .ख्वाब ***
दबे पांव कोई ,मेरी जिदंगी में आया ।
पल में अपना ,बना कर चला गया ।।
उसकी मीठी यादें ,दिल को बैचेन कर गयी ।
जब उसका चेहरा ,अपना सा लगने लगा ।।
जिदंगी उसको पाकर ,मानो खिल सी गयी ।
उसकी यादों में ,दिल मतवाला होने लगा ।।
दिल उसे पाकर ,खोना नहीं चाहता था ।
वह तो पल में दिल का ,दिलबर बन गया ।।
रह रह कर उसकी याद ,नीदं चुराने लगी ।
उसकी याद में ,दिल मचलने लगा ।।
थोड़ी सी आहट हुई ,और आँख खुल गयी ।
वह तो ख्वाब था ,सुहानी याद दे गया ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।