# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .बेखबर "
# कविता ***
अरे ओ बेखबर ,तुझें जानता ।
तो यह दिल ,कभी तुझसे न लगाता ।।
दिल की ये हालत न करता ,तेरे प्यार में आंसू न बहाता ।
तू सुदंरता का खजाना ,है यह मैं मानता ।।
पर तू इतना निष्ठुर है ,तो दिल न लगाता ।
तेरी लुभावनी मूरत ,ने मेरा दिल मोह लिया ।।
तेरी मीठी बांसुरी ने ,दिल बैचेन किया ।
अब आता नहीं ओ बेखबर ,दिल का हाल जानने ।।
तेरी याद में ,यह दिल रात दिन बेहाल रहता ।
न भुख लगती ,न प्यास लगती ।।
हर पल आँखें बिछा कर ,तेरी राह देखता ।
अब प्रेम की बारिश ,में मुझको भीगा जा ।।
इस दिल को ,अपनी चाँद सी सूरत दिखा जा ।
अब यह दिल ,तेरे बिना कहीं लगता नहीं ।।
तेरी बाँकी जरा ,चितवन दिखा जा ।
इस प्रकार बेखबर मत बन ,अब तो दशर्न दिखा जा ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।