# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .भोले "
# कविता ***
भोलेनाथ तेरी जटा में ,गंगा बिराजे ।
चंद्रमा तेरे शीशा पर ,आधा सोहे ।।
गले में सर्पो की ,माला सुहाये ।
तन पर वाधाम्बर ,सुहाना सुहाये ।।
हाथों में त्रिशूल ,डमरु डम डम बाजे ।
कैलाशपति शिव ,कैलाश में बिराजे ।।
साथ में वामभागे ,पार्वती माँ सुहाये ।
नंदी सन्मुख ,हर आज्ञा पालन करने बिराजे ।।
अद्भुत मुखारविंद ,तन मन को खुश करें ।
गला नीलकंठ सा ,सुदंर सा लागे ।।
एक जल की धार पर ,कृपा बरसाये ।
जगत का भोला ,भंडारी कहलाये ।।
श्रावण मास में ,जो अभिषेक करें ।
भोलेनाथ उसके सभी ,भंडार पल में भरें ।।
बृजमोहन ( बृजेश ) ,रणा ,कश्यप ,कवि ,वागड़ अंचल ,हाल .अमदाबाद ,गुजरात ।